Zero Budget Natural Farming (ZBNF) in Hindi, इस लेख में आप जीरो बजट प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से जानेंगे। यहां आप जानेंगे कि प्राकृतिक खेती कैसे की जाती है और प्राकृतिक खेती के क्या फायदे हैं? पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया पूरा लेख ध्यानपूर्वक पड़ें।
विषय सूची
जीरो बजट प्राकृतिक खेती क्या है?
जीरो बजट प्राकृतिक खेती एक ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से किसान खेती पर होने वाले खर्चों को कम करके अपनी आमदनी को कई गुना बड़ा सकते हैं। खेती करने के इस तरीके को अंग्रेजी में Zero Budget Natural Farming (ZBNF) कहा जाता है।
प्राकृतिक खेती का चलन दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है, केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग जीरो बजट प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं और लाभ कमा रहे हैं।
प्राकृतिक खेती कैसे की जाती है?
प्राकृतिक खेती करने के लिए किसान केवल प्राकृतिक संसाधनों का ही उपयोग करते हैं, प्राकृतिक खेती में किसी भी तरह के हानिकारक रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- जीवामृत का किया जाता है उपयोग, जीरो बजट प्राकृतिक खेती में किसान रसायनिक खाद के स्थान पर जीवामृत का उपयोग करते हैं। जीवामृत को बनाने में गाय के गोबर, गौ मूत्र, पीसी हुई दाल, पुराने गुड़ और पानी का प्रयोग किया जाता है।
- मलचिंग की जाती है, जमीन में नमी बनाए रखने के लिए और खरपतवार नियंत्रण के लिए धान की पराली को जमीन पर पौधो के आस पास बिछा दिया जाता है। धान की पराली न मिलने पर गन्ने की सुखी पत्तियों का उपयोग किया जा सकता है, या फिर किसी ऐसी सुखी घास का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसके इसके इस्तेमाल से खरपतवार बड़ने की संभावना न हो।
- प्राकृतिक कीटनाशक का उपयोग किया जाता है, प्राकृतिक खेती में कीट नियंत्रण के लिए जहरलिए रसायनों का उपयोग न करके प्राकृतिक किट नाशक का उपयोग किया जाता है। प्राकृतिक कीटनाशक को बहुत आसानी से घर पर ही बनाया जा सकता है और इसमें कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता।
- खेत को बार बार जोतना नहीं पड़ता, प्राकृतिक खेती के मॉडल को कुछ इस तरह से तैयार किया गया है की इसमें आपको खेत बार बार जोतना नहीं पड़ता।
- कम से कम पानी का होता है उपयोग, पानी की कमी दिनों दिन खेती के लिए मुसीबत बनती जा रही है पर जो किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं उन्हें ज्यादा चिंता नहीं है क्योंकि प्राकृतिक खेती में बहुत कम पानी का उपयोग होता है।
प्राकृतिक खेती के क्या फायदे हैं?
प्राकृतिक खेती कई तरह से फायदेमंद साबित हो रही है क्योंकि इसमें किसानों का ज्यादा खर्चा नहीं होता और पैदावार अधिक मिल जाती है। चलिए अब जानते हैं कि जीरो बजट प्राकृतिक खेती के और फायदे क्या क्या है।
प्राकृतिक खेती में खर्चा कम होता है
जो किसान कई दशकों से जीरो बजट प्राकृतिक खेती कर रहे हैं उनका ये मानना है कि पारंपरिक खेती (रसायनों द्वारा खेती) की अपेक्षा प्राकृतिक खेती में काफी कम खर्च आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें किसानों को किसी भी तरह के महंगे महंगे रसायन खरीदकर उन्हें खेत में नहीं डालना पड़ता।
देश भर में करोड़ों किसान बैंकों के कर्ज में डूबे हुए हैं ये बात तो हम सब जानते हैं ऐसा इसलिए है की दशकों तक किसानों को खुद सरकारों द्वारा ही गुमराह किया गया, उन्हें बताया गया कि रसायनों के बिना खेती करना संभव नहीं है। अब समय आ गया है भारत को कृषि प्रधान देश बनाने का, कृपया इस जानकारी को दूसरे किसानों के साथ भी साझा करें।
प्राकृतिक खेती जमीन के लिए फायदेमंद है।
जब किसान केमिकल युक्त खेती को छोड़कर जीरो बजट प्राकृतिक खेती की तरफ आते हैं तब उन्हें पता चलता है प्राकृतिक खेती में कम खर्चा और अधिक मुनाफा होने के साथ ही जमीन की खोई हुई ताकत भी वापस लौट आती है।
एक किसान के लिए उसकी जमीन ही सब कुछ होती है इसलिए कोई भी किसान ये नहीं चाहता की उसकी जमीन धीरे धीरे बेजान हो जाए। बीते कुछ दशकों में जानकारी के अभाव में किसानों ने अंधाधुद रसायनों का प्रयोग किया, नतीजा ये निकला की जमीन धीरे धीरे बेजान होने लगी और पैदावार कम हो गई। अब जमीन में पहले से भी ज्यादा केमिकल और रासायनिक खाद डालने पड़ते हैं।
प्राकृतिक खेती में पैदावार अच्छी होती है।
जब किसान प्राकृतिक खेती की शुरुआत करते हैं तब कुछ समय तक तो पैदावार सामान्य से थोड़ी कम होती है पर खर्चा कम होने की वजह से किसान को नुकसान नहीं होता। बाद में धीरे धीरे पैदावार बड़ने लगती है और खर्चा एकदम कम हो जाता है यही कारण है कि किसान प्राकृतिक खेती को काफी पसंद कर रहे हैं।