Multilayer farming in Hindi, अगर आप ये जानना चाहते हैं की मल्टी लेयर खेती कैसे की जाती है और कैसे करें? तो कृपया इस लेख को अंत तक पूरा पड़ें। इस लेख में हमने मल्टी लेयर फार्मिंग के बारे में बताया है। भारत एक कृषि प्रधान देश है यह बात तो हम सभी जानते हैं, भारत कई प्रतिशत अर्थव्यवस्था खेती पर ही निर्भर करती है। बीते कुछ दशकों में कृषि के क्षेत्र में काफी बदलाव हुए हैं और इन बदलावों के परिणाम काफी अच्छे मिल रहे हैं।
पहले के मुकाबले अब कृषि में आमदनी काफी बढ़ गई है, पर सिर्फ उन्हीं के लिए जो कृषि को आधुनिक तरीके से कर रहे हैं। उन्हीं आधुनिक तरीकों में से एक है मल्टी लेयर फार्मिंग, इसके अलाबा जैविक खेती भी किसानों की आय बढ़ाने का एक अच्छा विकल्प है। यह ऐसी कमाल की तकनीकी है जिसका फायदा करोड़ों किसानों को मिल रहा है। पिछले कुछ दशकों से मल्टी लेयर फार्मिंग का चलन भारत में काफी तेजी से बढ़ा है और लोग इंटरनेट पर इसके बारे में काफी सर्च कर रहे हैं।
मल्टीलेयर फार्मिंग क्या है?
मल्टी लेयर फार्मिंग खेती करने का एक नया तरीका है जो पुराने तरीके से बिल्कुल अलग है। मल्टीलेयर फार्मिंग में किसान एक फसल के साथ कई अन्य फसलों को भी उगाते हैं जिससे उनके खर्चे भी कम होते हैं और मुनाफा भी अधिक होता है। देशभर में लाखों किसान मल्टीलेयर फार्मिंग के तरीके को अपनाकर कई गुना अधिक लाभ कमा रहे हैं।
अगर आप इस तरीके से खेती करेंगे तो आपको काफी मुनाफा हो सकता है क्योंकि इस तरीके में आप कम जमीन से अधिक पैदावार ले पाएंगे। मल्टी लेयर फार्मिंग के तरीके को अपनाकर किसान खेती में होने वाले खर्चों को भी कम कर सकते हैं और इसमें उपज भी अधिक मिलती है। देश में कई ऐसी संस्थाएं सक्रिय हैं जो किसानों को मुफ्त में मल्टी लेयर खेती के बारे में बताती हैं।
मल्टीलेयर फार्मिंग कैसे करें?
मल्टी लेयर फार्मिंग में एक फसल के साथ कई अन्य फसलों को भी उगाया जाता है। अगर आपने कोई ऐसी फसल उगाई है जिसके फल जमीन के अंदर होते हैं और उसका पौधा काफी छोटा होता है तो आप उसके साथ कोई ऐसी फसल भी लगा सकते हैं जिसके पेड़ या पौधे काफी ऊंचे होते हैं या बेलों के रूप में होते हैं।
मान कर चलिए आपने एक अमरूद का बगीचा लगाया है तो आप इस बगीचे में हल्दी भी लगा सकते हैं जिससे ना तो हल्दी को कोई नुकसान होगा और ना ही अमरूद के पेड़ों को। हल्दी एक ऐसी फसल है जिससे अधिक रोशनी की जरूरत नहीं होती और यह किसी भी बगीचे में आराम से की जा सकती है।
इस खेती में उन पौधों को लगाया जाता है जो आपस में एक दूसरे की किसी ना किसी रूप से मदद करते हैं। कुछ पल ऐसे होते हैं जो अपनी जड़ों के द्वारा जमीन में नाइट्रोजन फिक्सिंग का काम करते हैं।
इस तरह से की गई खेती में आपको पानी भी कम देना पड़ता है और साथ ही रसायनों का उपयोग भी कम किया जाता है क्योंकि इस खेती में ऐसे पौधों को चुना जाता है जो आपस में एक दूसरे की जरूरतों को पूरा कर देते हैं इसलिए हमें रसायनों का उपयोग कम करना पड़ता है।
मल्टीलेयर फार्मिंग के फायदे क्या हैं?
5 Benefits of multilayer farming in hindi, वैसे तो इस सवाल का जवाब बहुत आसान है पर फिर भी कुछ लोग एक बार जरूर पूछेंगे कि मल्टीलेयर फार्मिंग के फायदे क्या क्या हैं।
पहला फायदा, सबसे पहला फायदा तो यह है कि आप कम जमीन में अधिक से अधिक पैदावार ले सकते हैं। जिन लोगों के पास कम जमीन है वह लोग भी इस तकनीकी से अधिक आमदनी कर सकते हैं।
दूसरा फायदा, यह है कि इसमें आपको फसल बेचने के लिए 6 महीने तक का इंतजार नहीं करना पड़ता क्योंकि आपने कई फसलें लगाई हुई है तो जैसे ही एक फसल खत्म होगी तब तक दूसरी चालू हो चुकी होगी और जब तक वह खत्म होगी तब तक दूसरी फसल चालू हो जाएगी।
तीसरा फायदा, यह है कि इसमें आपको बार-बार जुताई भी नहीं करानी पड़ती। क्योंकि मल्टी लेयर फार्मिंग जैन फसलों को किया जाता है उनमें से कई कस्बों ऐसी हैं जिनको जुताई की जरूरत नहीं होती।
चौथा फायदा, यह है कि इस तरह से की गई खेती में बीमारियां भी कम लगती हैं क्योंकि खेती में आप जिन पौधों का इस्तेमाल करते हैं वह पौधे ऐसे होते हैं जो किसी ना किसी रूप से एक दूसरे के लिए पोषण देने का कार्य करते हैं जिससे आप की फसल में बीमारियां कम लगती हैं और आपको अधिक पैदावार मिलती है।
पांचवा फायदा, जिस मिट्टी पर इस तकनीकी से खेती की जाती है उस मिट्टी की गुणवत्ता भी काफी हद तक बढ़ जाती है, जब आप हर साल एक ही जैसी खेती करते रहते हैं तो इससे आपके खेत के मिट्टी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कई किसानों का ऐसा मानना है कि मल्टी लेयर खेती करने के बाद उनके खेत की मिट्टी में काफी अच्छा परिवर्तन आया है।