Bonsai Tree Business in Hindi, इस लेख में हम आपको बोनसाई पेड़ के बिजनेस के बारे में बताएगे। अगर आप जानना चाहते हैं कि बोनसाई पेड़ कैसा होता है और किसे कहते हैं तो कृपया पूरा लेख पड़ें।
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बोनसाई पेड़ किसे कहते हैं?
बोनसाई पेड़ वे पेड़ होते हैं जिन्हें इंसान शुरुआत से ही अपने मन मुताबिक ढालते हैं, ऐसे पेड़ों की उम्र तो बढ़ जाती है लेकिन आकर में वह काफी छोटे होते हैं। शुरुआत में से पेड़ों का चलन भारत के बाहर काफी अधिक था पर वर्तमान समय में सफल लोग की मांग काफी बढ़ती जा रही है। ऐसे पेड़ देखने में काफी अधिक आकर्षक होते हैं और लोग इन पेड़ों को घरों में रखना काफी अच्छा समझते हैं।
पेड़ और इंसानों का रिश्ता बहुत पुराना है, दोनों एक दूसरे की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी जरूरी हैं। सुंदर वृक्षों की ओर हमेशा से इंसानों का झुकाव रहा है ये तो हम सब जानते ही हैं पर अब इंसान पेड़ों को भी अपने मन के अनुसार ढालने में सक्षम है। बीते कुछ दशकों में इंसानों ने काफी तरक्की की है और अब हम पेड़ों में भी बदलाव करने में सक्षम हो गए हैं।
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बोनसाई पेड़ के क्या फायदे हैं?
बोनसाई पेड़ देखने में काफी आकर्षक होते हैं इसलिए अधिकतर लोग अपने अपने घर में रखना पसंद करते हैं। यह पेड़ देखने में आकर्षक होने के साथ-साथ ही कई तरह से फायदेमंद भी होते हैं।
- हवा को शुद्ध करते हैं, बोनसाई पेड़ का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि यह पेड़ घर में जहां कहीं भी रखे जाते हैं वहां पर यह हवा को शुद्ध करते रहते हैं।
- तनाव को कम करते हैं, बोनसाई पेड़ तनाव को भी कम करते हैं ऐसा कई लोगों का मानना है, इसीलिए लोग इन पौधों को अपने ऑफिस तथा बेडरूम में रखना काफी पसंद करते हैं।
- Humidity बनाए रखते हैं, इन पेड़ों को जहां कहीं भी रखा जाता है वहां पर वातावरण में नमी (Humidity) बनी रहती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है।
- मन प्रसन्न रहता है, जैसा कि आप जान चुके हैं कि यह पेड़ काफी सुंदर होते हैं इसलिए जब भी हमारी नजर इन पेड़ों की तरफ जाती है तो हमारा मन प्रसन्न हो जाता है। हमने जहां पर भी रखते हैं वहां पर शांति बनी रहती है।
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भारत में बोनसाई पेड़ की मांग।
भारत में भी बोनसाई पौधे की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है, आने वाले समय में ये मांग और भी बढ़ेगी। आज भी कई प्रतिशत ऐसे भारतीय हैं जिन्होंने बोनसाई पौधे को कभी देखा ही नहीं है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत एक बहुत बड़ी आबादी वाला देश है यहां पर एक बहुत बड़ा मार्केट है।
भारत में चीजों के हर तरह के खरीददार है अगर हम सही तरीके से किसी बिजनेस को करेंगे तो यहां पर संभावनाएं बहुत है। बोनसाई पौधा अभी भी ज्यादातर भारतीयों के लिया एक नया प्रोजेक्ट है और इसके बिजनेस में कईयों ने अच्छी सफलता प्राप्त की है।
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कौनसे पेड़ को बोनसाई बना सकते हैं?
सही वृक्षों का चयन, बोनसाई पेड़ को तैयार करने से पहले आपको एक सही वृक्ष का चयन करना होगा। इस चयन में आपको ये ध्यान में रखना है कि वृक्ष देखने में सुंदर होना चाहिए, उसके फूल व कलियां सुंदर व सुगंधित होनी चाहिए, साल में कितने समय वृक्ष हरा भरा रहता है इसका भी विशेष ध्यान रखें।
आप चाहें तो किसी बिना फल फूल वाले वृक्ष का चयन कर सकते हैं, जैसे – बरगद, पीपल, चीड़, पाकड़ आदि।
कुछ सदाबहार वृक्ष – अनार, आम, अमलताश, अमरूद, आकाशनीम, आंवला, बरगद, बॉटब्रूश, संतरा, सेमल, गूलर, गुलमोहर, पीपल, जकरेण्डा, लीची, चीड़, नीम, नींबू, केसिया प्रजाति आदि। पतझड़ वृक्ष: ओक, बेर, बर्च, देवदार, फर, नाशपति, सेमल, चमेली,
बड़े वृक्ष का अवलोकन करें, वृक्ष का चुनाव होने के बाद उस प्रजाति के एक पुराने वृक्ष का अवलोकन करें जिस प्रजाति के वृक्ष को आप बोनसाई बनाना चाहते हैं। ऐसा करना इस लिया आवश्यक है क्योंकि इसके बाद आप ठीक से समझ पाएंगे कि अपने बोनसाई वृक्ष को कैसा आकार देना है।
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बोनसाई के लिए कौनसा गमला सही है?
सही गमले का करें उपयोग, वैसे तो बाजार में सैकड़ों तरह के गमले उपलब्ध हैं पर बोनसाई के लिए जिन गमलों का उपयोग होता है वह अलग तरह के होते हैं। सामान्य पौधों को लगाने के लिए हम गहरे गमलों का उपयोग करते हैं पर बोनसाई पौधों के लिए जिन गमलों का उपयोग किया जाता है वह बहुत ज्यादा गहरे नहीं होते हैं साथ ही वह सामान्य गमलों की अपेक्षा चौड़ाई में अधिक होते हैं।
ध्यान रहे कि बोनसाई के लिए जिन गमलों का उपयोग करें उनमें नीचे एक से अधिक छिद्र होना आवश्यक है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि बोनसाई के लिए जिन गमलों का उपयोग होता है वह सामान्य गमलों की अपेक्षा चौड़ाई में अधिक होते है, अगर केबल एक छिद्र होगा तो पानी ठीक से बाहर नहीं निकल पाएगा और पौधे की जड़ ने बीमारी लगने का खतरा बढ़ जाएगा।
बोनसाई के लिए कौनसी मिट्टी का उपयोग करें?
सही मिट्टी का करें उपयोग, बोनसाई पौधे को उगने के लिए जिस मिट्टी का उपयोग किया जाता है उसका सही चुनाव करना बहुत आवश्यक है। अगर आप सही मिट्टी का उपयोग नहीं करते हैं तो आपको वैसे परिणाम नहीं मिलेंगे जैसे आप चाहते हैं।
खेत या बरगद या फिर पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी, केंचुआ खाद या पेड़ की पत्तियों की खाद तथा बालू रेत का बराबर मात्रा में उपयोग करें। अगर हो सके तो बरगद या फिर पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी का उपयोग करें, ऐसा इसलिए क्योंकि इस मिट्टी आवश्यक तत्त्वों की मात्रा काफी अधिक होती है।
बोनसाई पेड़ कैसे तैयार करें?
बोनसाई पेड़ को तैयार करना बहुत ज्यादा मुश्किल काम तो नहीं है पर इसमें आपको काफी सब्र रखना पड़ता है और थोड़ी जानकारी इक्खट्टा कर के काम करना पड़ता है।
ऊपर बताई गई सभी सामग्री को इक्खट्टा करने के बाद एक छोटे पौधे को लीजिए और उसकी जड़ पर जो मिट्टी है उसे एक तिहाई तक झाड़ कर अलग कर दीजिए। ध्यान रहे की इस पौधे की कटाई छटाई पहले से ही कर के रखें, साथ ही पौधे में कुछ पत्तियां भी छोड़ दें ये पौधे के विकास के लिए जरूरी हैं।
अब पौधे की लंबी जड़ों को काट छोटा कर दीजिए ध्यान रहे की ये जड़ें गमले के किनारों तक न पहुंचे। साथ ही जो जड़ें बड़ी ब मोटी हैं उन्हें ज्यादा पास से न काटें ऐसा करने पर पौधे के विकास पर बुरा असर पड़ सकता है।
अब गमले के सभी छिद्रों पर सूती कपड़े के छोटे छोटे टुकड़े लगा दें, ध्यान रखें कि ये कपड़ा बहुत ज्यादा मोटा न हो नहीं तो पानी ठीक से बाहर नहीं निकल पाएगा।
अब इस गमले में थोड़ी मिट्टी डालें और उसके ऊपर पौधे को रख दें, उसके बाद बची हुई बाकी मिट्टी को भी डाल दें। मिट्टी डालने के बाद हल्के हाथों से मिट्टी को दबा दें ताकि जिस पौधे को अपने गमले में लगाया है वह ठीक से मिट्टी की सहायता से खड़ा हो जाए।
पौधा ठीक से लगाने के बाद गमले में फुआरे से पानी लगाए। पानी तब तक लगाएं जब तक बह नीचे से न निकलने लगे। अब इसे कुछ दिनों के लिए ऐसे ही छोड़ दें और दुबारा पानी तब लगाएं जब मिट्टी सूखने लगे और हल्की नमी बची हो।
समय समय पर आवश्यकता अनुसार पौधे की छटाई करते रहें। बहुत जल्दी आपका बोनसाई वृक्ष तैयार हो जाएगा।