मशरूम की खेती कैसे करें? जानें पूरी जानकारी | Mushroom cultivation in hindi

Mushroom cultivation in Hindi, क्या आप जानना चाहते हैं की मशरूम की खेती कैसे होती है और कैसे करें? इस लेख में हम आपको मशरूम उत्पादन की पूरी जानकारी देंगे, जानिए मशरूम की खेती कैसे की जाती है, मशरूम कितने प्रकार की होती है, मशरूम की कम्पोस्ट को कैसे तैयार किया जाता है

हमनें अपने एक अन्य लेख में बताया है की खेती में अधिक मुनाफा कैसे कमाएं अधिक जानकारी के लिए कृपया उस लेख को भी अवश्य पड़ें। हमने इस वेबसाइट पर कृषि ज्ञान नाम से एक Category बना रक्खी है जिसमें हम कृषि से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां देते रहते हैं।

विषय सूची

मशरूम की वैज्ञानिक परिभाषा, Mushroom scientific definition

मशरूम एक कवक साम्राज्य (fungi kingdom) से संबंधित प्रजाति है। इस समूह को पौधों और जानवरों के बीच एक मध्यवर्ती माना जा सकता है, जिनसे यह एक लाख साल से भी पहले अलग हो गया था। इस प्रजाति के सदस्य पौधों की तरह गतिहीन और असंवेदनशील जीवन जीते हैं। और जीवित रहने के लिए कार्बनिक पदार्थों का सेवन करते हैं।

मानव प्राचीन काल से ही मशरूम का सेवन करता आ रहा है, पुराने समय में मशरूम का इस्तेमाल दबाओं में भी हुआ करता था। कई प्राचीन किस्सों और कहानियों में मशरूम का इस्तेमाल जहर के रूप में भी हुआ है।

वर्तमान समय में मशरूम का चलन काफी बड़ता जा रहा है क्योंकि मशरूम खाने में बहुत ही स्वादिष्ट व पौष्टिकता से भरपूर होती है। घरेलू खाने से लेकर बाजार में बिकने बाले फ़ास्ट फ़ूड तक सभी में मशरूम का खूब इस्तेमाल हो रहा है। वर्तमान समय में कई मेडिकल कंपनियां मशरूम से कई तरह की दबाएं बना रही हैं इसी लिए बाजार में मेडिसिनल मशरूम के दाम बहुत ज्यादा हैं।

मशरूम कितने प्रकार की होती है? Types of mushroom in Hindi

खाने योग्य मशरूम, हजारों मशरूम की प्रजातिओं में से कुछ प्रजातियाँ ऐसी हैं जिन्हें खाने में प्रयोग किया जाता है। भारत में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली मशरूम का नाम है सफेद बटन मशरूम। मशरूम की इस प्रजाति को भारत के कुछ राज्यों में खुवी या खुंवी भी कहा जाता है।

इसके बाद सबसे ज्यादा लोकप्रिय है सफेद मिल्की मशरूम, ये बटन मशरूम से ज्यादा स्वादिष्ट होने के साथ ही वजन में भी ज्यादा होती है। इसके बाद भारत में सबसे अधिक लोकप्रिय है सफेद ऑयस्टर मशरूम, ये एक ऐसी मशरूम है जिसे आप सुखा कर भी बेच सकते है।

मेडिशनल मशरूम, मशरूम की हजारों प्रजातियों में से कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जिन्हें दवाओं में प्रयोग किया जाता है। यदि आप मेडिशनल मशरूम की खेती करना चाहते हैं तो आपको बता दें कि इनकी खेती के लिए एक अच्छी ट्रेनिंग के साथ ही खर्चा भी अधिक करना पड़ता है। जबकि इनके मुकाबले खाने बाली मशरूम की खेती में खर्चा कम आता है और इसे हर कोई कर सकता है।

जंगली मशरूम, हजारों में से मशरूम की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जिन्हें खाने से इंसान बीमार भी हो सकता है और मर भी सकता है, मशरूम की ऐसी प्रजातियों को अंग्रेजी में (Wild mushrooms) कहा जाता है। पुराने समय में लोग जंगली मशरूम का प्रयोग जहर के तौर पर भी करते थे, ऐसी कई किस्से कहानियां आपको आज भी पड़ने और सुनने को मिल जायेंगी।

मशरूम उत्पादन में प्रयोग में आने बाली वस्तुएं व सामग्री।

मशरूम का बीज (Mushroom Spown 1%), Bavistin (Fungicide, फफूंद नाशक), Formolin (Sanitization, Antivacterial, जीवाणु नाशक), Gypsum 5% (PH ठीक रखने के लिए), Chokar 10% (गेहूं का छिलका), Urea 1(खेतों में लगाने बाला)%, मुर्गी की खाद 30% (मुर्गी पालन बालों के यहां मिलती है), Potas 1% (कृषि केंद्र पर मिलेगा) मशरूम की खेती में प्रयोग होने वाली सामग्री बहुत ही साधारण होती है जो हर कहीं पर आसानी से मिल जाती है। यदि आप गांव में रहते हैं तो यह और भी अच्छी बात है, क्योंकि भूसा भी सस्ता मिल जाता है और जगह भी।

भूसा, मशरूम की खेती के लिए भूसा सबसे आवश्यक चीजों में से एक है, अगर आपके पास भूसा उपलब्ध न हो तो आप धान की पराली को छोटा छोटा काट कर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

बांस, अगर आप कम जगह में ज्यादा काम करना चाहते हो तो आपको वांस की जरूरत पड़ेगी, बांस की रैक बनाकर आप एक के ऊपर एक कई लेयर में मशरूम के थैले रख सकते हो। आपको एक स्प्रे मसीन की भी जरूरत पड़ेगी जिसकी सहायता से आप पानी की स्प्रे करेंगे।

Humidity meter, मशरूम की खेती में ह्यूमिडिटी मीटर भी बहुत जरूरी है इसकी मदत से आप कमरे की नमी का पता लगा पाऐंगे और इसी की मदत से आपको कमरे का तापमान भी पता चलता रहेगा। एक लंबा बाला थर्मामीटर भी चाहिए जिससे आप थैलों के अंदर का तापमान भी पता लगा सकते हैं।

Bavistin, ये एक तरह का फफूंद नाशक (Fungicide) होता है।

Formolin, ये एक जीवाणु नाशक (Antivacterial) केमिकल है।

बटन मशरूम के बैग तैयार करने का पूरा फार्मूला,

बटन मशरूम का कम्पोस्ट बनाने की विधी, Button mushroom compost formula in hindi

यदि आप मशरूम के 1000 बैग तैयार करना चाहते हैं तो आपको 4000 किलो भूसा लेना है (ये भूसा तैयार होने के बाद भूसा ढाई गुना हो जाता है)

Button Mushroom compost formula, भूसा 24 घंटे के लिए भिगो देना है , भूसा भिगोने के 24 घंटे बाद सभी चीजों को मिला कर Mixture बना लें (Gypsum को छोड़ कर) और इस हल्का छींटा मार कर एक जूट के बोरे से ढक कर 24 घंटे के लिए रख देना है।

अब भूसे को भींगे 48 घंटे और Mixture (Without Gypsum) को भीगे 24 घंटे हो गए हैं।

अब Mixture (विना Gypsum) और भूसा दोनों को मिक्स कर के एक ढेर बना देना है,

ढेर 5 फिट चौड़ा और 5 फिट ऊँचा होना चाहिए और लम्बाई अपने हिसाब से रख सकते है।

अब इस ढेर की समय समय पर पलटाई करना बहुत जरूरी है, नीचे दिए गए निर्देशों के अनुसार पलटाई करें।

मशरूम के कम्पोस्ट की पलटाई करने का सही तरीका, पहली पलटाई छठे (6th Day) दिन करें, दूसरी पलटाई दसवें दिन (10th day) करें, तीसरी पलटाई तेरहवें दिन (13th day) करें, चौथी पलटाई सोलहवें दिन (16th day) करें, पांचवी पलटाई उन्नीसवें दिन (19th day) करें।

पांचवीं (5th) पलटाई के साथ Gypsum भी मिक्स कर देना है

छठी पलटाई बाईसवें दिन (22th day) करें, सातवीं पलटाई पच्चीसवें दिन (25th day) करें।

सातवीं (7th) पलटाई के समय चेक करें कि कम्पोस्ट में कीड़े तो नहीं लगे हैं, अगर कीड़े लग गए हैं तो

4000kg भूसे के लिए 350gm से 400gm “insecticides” (कृषि केंद्र पर मिल जायेगा) पाउडर मिला कर रख दें अब 28बे दिन कम्पोस्ट तैयार हो जाएगी.

नोट – कम्पोस्ट में 70% नमी होनी चाहिए, अमोनियाँ की महक नहीं आनी चाहिए, PH 7% होना चाहिए, बिजाई से पहले (कंपोस्ट में मशरूम का बीज मिलाने) से पहले कम्पोस्ट का ट्रीटमेंट जरुरी है!

मशरूम के कंपोस्ट की ट्रीटमेंट करने की विधि, Mushroom compost treatment process hindi

Button Mushroom compost treatment process, कम्पोस्ट ट्रीटमेंट के लिए 2% formolin, 0.5% Bavistin का इस्तेमाल करना चाहिए।1000kg भूसे के लिए 40 लीटर पानी 2% formalin, 50gm Bavistin लेकर कम्पोस्ट के ऊपर स्प्रे करने वाली मसीन (बही मसीन जिससे खेतों में स्प्रे होती है) से स्प्रे कर के 48 घंटे के लिए ढक के रख दें। अब कम्पोस्ट बिजाई के लिए तैयार है ! अब इस भूसे से बने कंपोस्ट में मशरूम के बीज (Mushroom Spown) को मिला लें और 10 किलो बाली प्लास्टिक की थैलियों में भर कर रख दें, ध्यान रहे थैलियों के ऊपर न्यूज पेपर जरूर बिछा दें। 6 से 8 दिन में इन थैलियों के अंदर पूरी तरह से फफूंद (mycelium) फैल जाएगा।

Mycelium फैलने के बाद ऊपर बिछाया हुआ न्यूज पेपर हटा देना होता है और हमें उसके ऊपर नारियल के बुरादे और मील की राख को आपस में मिला कर लगभग दो इंच मोटी परत बिछानी होती है। अगर आपको मील की राख और नारियल का बुरादा न मिले तो एक से दो साल पुराना गोबर लेना है और इसको साफ मिट्टी में मिला लेना है, ये मिट्टी आप किसी बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे से खोदकर ले सकते हैं। बस अब आपको केवल उचित नमी और सही तापमान को बनाए रखना होता है नहीं तो मशरूम खराब हो जाएंगी और आपको पैदावार नही मिल पाएगी।

मशरूम उत्पादन में काम में आने वाले उपकरण, आपने जिस कमरे में मशरूम के थैलों को रखा है उस रूम में एक आर्द्रता मीटर (Humidity meter) रख देना है ताकि आपको पता चलता रहे की कमरे का Humidity label कितना है ये आपको 200 से लेकर 500 तक में Amazon या Flipkart पर मिल जाता है। और एक लंबा बाला थर्मामीटर (Thermometer) भी जरूर ले लेना ताकि आप थैलों के अंदर घुसा कर उनका तापमान पता कर सको, थैले में जहां पर थर्मामीटर घुंसाओ उस जगह को टेप से बंद जरूर कर देना।

Mycelium फैलने तक कमरे का तापमान लगभग 20-28 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए और जब आप नारियल के बुरादे और मील की राख की दो इंच मोटी परत चढ़ा दो उसके बाद कमरे का तापमान 12-18 डिग्री सेल्सियस तक रखें और नम (Humidity) 80-90% तक रखे। और साथ ही मशरूम के थैलों पर दिन में दो से तीन बार (आवश्यकता अनुसार) पानी की स्प्रे करते रहें। अगर कमरे की Humidity कम हो रही है तो जमीन और दीवारों पर पानी की स्प्रे कर दें।

मशरुम की खेती में क्या सावधानियां वरतनी चाहिए?

मशरूम एक बहुत ही संवेदनशील प्रजाति है, इसलिए इसकी सही देखभाल बहुत जरूरी है। जिस जगह पर आप मशरूम कर रहे हैं उस जगह पर साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, जब भी रूम में जाएं अपने हाथ और पैर अच्छे से साफ करके जाएं।

सुनिश्चित करें की जिस पानी का छिड़काव आप कर रहे हैं वो एकदम साफ हो या उसमें थोड़ी Formolin मिला कर छिड़काव करें, ध्यान रहे Formolin बाला पानी केबल दीवारों और जमीन पर ही छिड़के मशरूम के थैलों पर नहीं। समय समय पर नमी और तापमान को जांचते रहें, और आवश्यकता के अनुसार सही कदम उठाएं।

मशरुम की खेती में किन बातों का ध्यान रखें?

भारत में मुख्यतया मशरूम की खेती सर्दियों में की जाती है (नवंबर से लेकर मार्च तक) क्युकी इस मौसम में तापमान काफी कम रहता है। काफी लोग AC लगाकर सालभर मशरूम की खेती भी कर रहे हैं पर मेरी सलाह है कि आप पहले सीजन में ही इस काम को करे फिर बाद में अपनी क्षमता के अनुसार बड़ा सकते हैं।

उचित नमी और तापमान को बनाए रखना बहुत जरूरी है। जिस कमरे में आप मशरूम कर रहे हैं उस उसका तापमान 16 डिग्री सेल्सियस से लेकर 25 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए। नमी को को नियंत्रित करना भी बहुत आवश्यक है, कमरे में नमी (Humidity) लगभग 80% से 90% तक होनी चाहिए।

मशरुम की मार्केटिंग कैसे करें? Mushroom marketing tips in Hindi

मशरुम को बेचने के लिए आपको ज्यादा मार्केटिंग करने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि ज्यादातर लोग मशरुम खाना पसंद करते हैं और दूसरी सब्जिओं के मुकाबले बाजार में मशरुम कम ही देखने को मिलती है। पर जब आप काफी बड़े स्तर पर मशरुम उगाते हैं तो कई बार आपको इसे बेचने के लिए काफी भाग दौड़ करनी पड़ती है।

बर्तमान समय में जगह जगह ऐसी कई कंपनी सुरु हो गई हैं जो मशरुम को डब्बो में बंद (Mushroom canning) करके बेचने का काम करती हैं आप अपने आस पास ऐसी कम्पनिओं को खोज सकते हैं और उन्हें अपनी मशरुम बेच सकते हैं।

आप ऐसी कम्पनिओं का पता लगाने के लिए गूगल का सहारा ले सकते हैं, आपको गूगल पर सर्च करना है “Mushroom canning plant near me” फिर गूगल आपको उन कम्पनिओं की लिस्ट दिखा देगा जो आपके आस पास होंगी फिर आप उनसे संपर्क कर सकते हैं।

अगर आप Oyster mushroom उगा रहे हैं तो आपको ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि Oyster mushroom को आप सुखा कर रख सकते हैं जिससे ये काफी समय तक ख़राब नहीं होंगीं। आप सूखी Oyster mushroom को ऑनलाइन भी बेच सकते हैं जिससे आपको मुनाफा भी ज्यादा होगा और मशरुम ख़राब होने का डर भी नहीं रहेगा। कई ऐसी कम्पनियां भी हैं जो सुखी Oyster mushroom खरीदती हैं आप ऐसी कम्पनिओं से संपर्क कर सकते हैं।

मशरुम की खेती में कितना मुनाफा है?

मशरूम की खेती एक बहु ही अच्छा व्यवसाय है, इस व्यवसाय ने बहुत लोगों का जीवन बदला है। जब आप पहली बार शुरुआत करेंगे तो आपका खर्च थोड़ा ज्यादा आयेगा क्युकी कुछ चीजें आप ऐसी खरीदेंगे जिन्हें आपको सिर्फ एक बार ही खरीदना है और वो सालों तक चलेंगी। अगर सीधी बात करें मुनाफे की तो इस व्यवसाय में 30% से लेकर 50% तक का मुनाफा है।

मशरूम की खेती में कितना खर्चा आता है?

अगर बात करें मशरूम की खेती में आने वाले खर्चे की तो ये अलग अलग जगह पर अलग अलग हो सकता है। जैसे की अगर आप उत्तर प्रदेश से हैं तो आपके यहां भूसे का रेट कुछ और है और और मध्य प्रदेश में कुछ और है। बाकी की जो भी चीजें हैं उनके रेट अलग हो सकते हैं, या हो सकता है आपको जो चीजें खरीदनी पड़ रही हैं किसी और को फ्री में ही उपलब्ध हों। सभी आवश्यक चीजों की सूची हमने इस लेख में दी है आप उनका रेट अपने क्षेत्र में पता कर सकते हैं जिससे आपको आने बाली लागत का सही अनुमान मिल जायेगा।

मशरूम की खेती कब की जाती है?

भारत में गर्मियों के मौसम में तापमान काफी गर्म हो जाता है इसलिए भारत में मशरूम की खेती को सर्दियों के मौसम में ही किया जाता है। भारत में मशरूम की खेती अक्टूबर या नवंबर से लेकर फरवरी से मार्च तक की जाती है। भारत में कई किसान AC की मदद से मशरूम की खेती पूरे साल भर करते हैं, अगर आप तापमान को मशरूम के हिसाब से और स्थिर रख सकें तो आप मशरूम की खेती पूरे साल आराम से कर सकते हैं।

मशरूम का बीज कितने रुपए किलो मिलता है?

मशरूम का बीज आपको कृषि विज्ञान केंद्र पर 100 से लेकर 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिल जाएगा। कई ऐसे भी मशरूम उत्पादक हैं जिन्होंने खुद से ही मशरूम का बीज बनाना शुरू कर दिया है आप चाहें तो इस लोगों से भी मशरूम का बीज खरीद सकते हैं।

मशरूम के बीज को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

मशरूम के बीज को अंग्रेजी में Mushroom spawn कहा जाता है। मशरूम एक फफूंद है इसलिए इसका बीज नहीं होता पर जो लोग मशरूम की खेती के बारे में ज्यादा नहीं जानते वह Mushroom spawn को मशरूम का बीज ही समझते हैं।